“रजनी ” दिलो जान से तुम्हें प्यार करती है।
न चाहकर भी जब नाराज होती हूँ, तुम्हें नाराज करती हूँ।
उस पल मैं कैसे जीती हूँ दिल ही जानता है।
काश इस “एहसास” को दिलवर समझ पाते।
दिलवर ने जब इस एहसास को समझा।
तो दिल में हजारों रंग सज गए।
दो दिल एक जान हुए तो, दुनिया की हर खुशी मिल गयी।
जब एक दूसरे के सुख-दुख को समझा।
एक नया प्यार का एहसास “हो गया।
तो मूझे लगा प्यार का” पारस”मिल गया।
:रजनी
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